,,,श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी,, ,,,,हे नाथ नारायण वासुदेवा,, राधे कृष्ण,,राधे कृष्ण,, एक लगभग 55 साल के मिश्राजी,,धोती पहने,, तोलिये को ओढे हुए,,,सर पर ठाकुर जी जैसा तिलक,,ओर मुख पर राधेकृष्ण ...ये है मिस्टर नारायण मिश्रा और इनके साथ हैं इनकी पत्नी नारायणी
मिश्रा जी ," नारायणी.....
नारायणी हाथ में लड्डू की प्लेट लेकर आते हुए जी हो गया भोग तैयार और मैने मोबाइल भी आंगन में रखा है वहीं बैठकर आप माला कर लीजिएगा और वहीं हम गुरुजी का सत्संग सुन लेंगे कहकर वह भोग ठाकुर जी के सामने रख आईं
गुरुजी के प्रवचन शुरू हो चुके थे," यह जीवन केवल मिथ्या मात्र है, जीवन के हर रूप को श्री हरि विष्णु ने अपने हर अवतार में समाया हुआ है जब मर्यादा पुरुषोत्तम हुए तो श्री राम हुए जब मर्यादा की हर सीमा लांघ दी तो स्वयं श्याम हुए तो बोलो हरे कृष्ण हरे कृष्ण.....
प्रवचन तो अच्छा है लेकिन हम जरा घर घूमकर आते हैं
आंगन से लगा हुआ बरामदा और बरामदे से लगी हुई सीढ़ियां ये कहीं तो जा रही है 🤔🤔🤔पर कहां तो चलें,,,,, ऊपर दो रूम हैं पहला वाला नहीं दूसरे वाले में चलते हैं,, वो क्या है न मेरी स्टोरी मेरी मर्जी 😆😆
, ये क्या ये तो अंदर से लॉक है 😐
🤪लेकिन हमें क्या हम तो कहीं भी जा सकते है😁😁,,तो चलिये चलते हैं,,,एक बहुत ही सलीके से सजाया हुआ कमरा जिसमे शायद जरूरत की चीजो के अलावा एक सुई न मिले,,,
,,,,यार क्या सुंदर कमरा है,,,,काश मेरा होता,,,,,😒😒
,🤦मैं फिर भटक गई,,कहां थे हम,,हां सलीके से सजा हुआ कमरा,,कमरे के कोने में लगे एक आईने के सामने खड़ा एक लड़का,,,
चलिये इनका इंट्रो दे देते हैं,,,
ये है mr, संस्कार मिश्रा,,,,उम्र 26,,कलर गेहुआ हाइट6'1,,,ओर रूप तो ऐसा की गोपियां तो पीछा ही नही छोड़ती,,पेशे से एक कम्पनी के प्रेसिडेंट है,,,शक्ल से ये श्याम,,ओर स्वभाव से ये राम है,,,,अभी ये अपने आफिस के लिए रेडी हो रहे हैं,,,,,
आई मीन हो चुके हैं,,,ये तैयार होकर जैसे ही बाहर निकले कमरे से बगल में ही बने मंदिर के राधाकृष्ण के सामने हाथ जोड़ा और रेलिंग से नीचे देखा तो पापा का प्रवचन चल रहा था और माँ भी साथ थी,,,।
,,,संस्कार ने न में सर हिलाया ओर नीचे आने लगा,,,तभी माँ की नजर लाडले पर पड़ी तो उन्होंने मुस्कराते हुए उसे कुछ इशारा किया,,,,तो संस्कार सीढी पर ही रुक वापस ऊपर चला गया,,,,
अपने रूम में नही उसी से लगे हुए दूसरे रूम में,,उसने बिना नॉक के दरवाजा खोला और अंदर आ गया,,,
अंदर का नजारा तो संस्कार के कमरे से भी कही ज्यादा अच्छा है,,हन्न बस फालतू की चीजें कुछ ज्यादा है,,,।
संस्कार बेड के पास पहुचा ही है कि कुछ पर उसका पैर पढ़ा और वो फिसलकर गिरते गिरते बचा,,,वो एक टॉय कार थी,,।
संस्कार ने ग़ुस्से से एक नजर टॉय कार को तो एक नजर बेड पर देखा,,उसने एक झटके से बेड से कम्बल खींच लिया,,,,।
,,,,,,बेड पर एक खूबरसूरत सी प्रिंसेज सो रही थी,,,चलिये अब इनका इंट्रो हो जाए,,
,,नाम संस्कृति मिश्रा,,,
उम्र,,,20 साल,,😜😜हरकतों के हिसाब से इन्हें 5 साल की श्रेणी में भी रखा जा सकता है,,
हाइट - 5'5,,कलर,,एक्सट्रा फेयर,,बेबी फेस विथ डिम्पल,,,,जिसपर कमर तक लहराते बाल,,,😍😍
🤔तो हम कहा थे,,,संस्कार ने संस्कृति का कम्बल खींच लिया,,,,- छोटी उठ,,,माँ ने कहा तुझे उठाना है पापा के प्रवचन खत्म होने वाले हैं जल्दी उठ,,,
संस्कृति मुह बनाते हुए (बिना आंख खोले) - ये संस्कार पुराण फिर सुरु हो गया....
संस्कार - नोटँकी मत कर जल्दी उठ,,,वो उसका कम्बल वही छोड़ उसके मिरर के पास गया जहाँ उसे दिखा की उसके बाल थोड़े बिगड़ गए है,,उसने कॉम्ब ली और बाल सेट करने लगा,,,
संस्कृति एक आंख को भी आधा खोलकर देखते हुए - भाई!! मैंने कितनी बार कहा है कि मेरा कॉम्ब यूज़ मत किया करो,,,मुझे पसंद नही की कोई मेरा कॉम्ब यूज़ करे,,।
संस्कार बाल बनाते हुए - अच्छा बेटा,,अपना कॉम्ब नही दे सकती,,ओर दूसरे की चीजों पर तो तेरा कॉपीराइट है न,,कल मेरे वॉलेट से 2000 ₹ मिसिंग थे,,,ओर मुझे उतने ही परसेंट विश्वास है कि वो तूने लिए,,,वो भी बिना मेरी परमिशन के मैने कुछ कहा,,,??
संस्कृति उठकर अंगड़ाई लेते हुए - इतना कुछ तो कह दिया अब क्या एस्से लिखते इसपर,,,वैसे गुड मॉर्निंग भाई😊😊...।
संस्कार उसके पास आकर उसके गालों को खींचकर - राधेकृष्ण...।
संस्कृति - राधेकृष्ण की जगह गुड मॉर्निंग बोलेंगे तो क्या बुराई🤔🤔
संस्कार - बुराई मुझसे नही होगी,उनसे होगी जो रिश्ते में हमारे पिता जी लगते हैं,,,।
संस्कृति हस्ते हुए - आपका नाम सही रखा है संस्कार डायलॉग की ऐसी तैसी कर देंगे पर अनैतिक शब्दों का इस्तेमाल नही करेंगे,,,। पिता जी😜😜
संस्कार सीरियस होकर - हो गया,,जा रेडी हो जा पापा वेट करेंगे तेरा आरती के लिए ओर तू जितनी लेट होगी उतना ही मैं ऑफिस के लिए,,ओर एक मीटिंग है आज चैयरमेन के साथ ,,,तो प्लीज जल्दी आ जा,,,ह्म्म।
संस्कृति - यस बॉस बस 5 मिनट,,कहकर वो वाशरूम में भाग गई,,
संस्कार उठकर जाते हुए - मतलब पक्का आधे घण्टे नही आ रही,,,वो नीचे पहुच गया,,जहां पापा का प्रवचन खत्म हो चुका,,ओर माँ मंदिर के लिए थाली लगा रही थी,,,।
संस्कार - राधेकृष्ण पापा🙏
मिश्रा जी - राधेकृष्ण,,,आओ आरती कर लें,,,वो आगे कदम बढ़ाकर रुके,,,संस्कार!! आपकी लाडली कहां है?? उठी या अभी भी सपनो की दुनिया मे ही है??
संस्कार - नही पापा वो उठ गई है बस आती ही होगी,,
मिश्राजी - जी जरूर समय की बहुत पाबन्द है वो कभी लेट हुई हैं जो आज होंगी,,तब तक माँ भी आ गई,,जी वो आप माला नही लाए,,ठाकुर जी की,,।
मिश्राजी - अरे वो माली बाहर स्टैंड पर रख गया होगा लाया मैं अभी,,,। मिश्राजी बाहर माला लेने चले गए तो दोनो माँ बेटे ने चैन की सांस ली,,।
माँ - उठी की नही वो महारानी??
संस्कार खीजकर - उठ गई यार क्यों उसके पीछे पड़े रहते हो आप दोनों,,अभी छुट्टियां चल रही है,सो लेने दो बेचारी को,,फिर वही डेलीरूटीन रहना है,,।
माँ - ह्म्म आपकी इन्ही प्यारी बातों ने उन्हें सर पे चढ़ा रखा है,,कोई कुछ बोले उससे पहले उनके वकील जो रहते हैं,,हअ....
संस्कार - क्या माँ आप भी जानती हो एक साल में उसकी ग्रेजुएशन हो जाएगी,,फिर उसे अपनी डिज़ाइन ब्रांड बनानी है,,तो अभी उसे थोड़ी फ्रीडम दो क्योंकि तब मैं नही दूंगा,,,
मिश्राजी अंदर आते हुए - क्या नही देंगे बरखुरदार??
माँ बात सम्भालते हुए - अरे कुछ नही आप इसकी बातें छोड़िये,,आप माला ले आए??
मिश्रा जी माला की थैली आगे कर - हम्म,,ये रही माला,,।
माँ - ठीक है तो चलिए हम आरती कर लेते है,,वो मन्दिर की तरफ जाने लगी,,तो मिश्राजी ने एक नजर संस्कार को देखा तो संस्कार - पापा वो बस आती ही होगी...।
मिश्राजी मन्दिर की तरफ जाते हुए बुदबुदाए - दोनो में कितना अन्तर है एक जमीन तो दूसरा आसमान एक उजाले से पहले उठ जाता हैं तो दूसरी सूरज सर पर आ गया पर उनकी पलकों पर कोई असर नही,,,।
संस्कृति ऊपर से भागते हुए आकर - गुड मॉर्निंग पापा,,,संस्कार ने अपना सर पीट लिया,,,
संस्कृति को समझ आया तो उसने जीभ निकालकर संस्कार की तरफ देखा फिर जल्दी से - सॉरी,,,,राधेकृष्ण पापा,,,,।
पापा थोड़ी सख्ती से - थोड़े बहुत हमारे संस्कार भी सीख लें आप,, तो बहुत कृपा होगी,,,कहकर वो मुड़कर ठाकुर जी की आरती करने लगे,,,
संस्कृति को तो पीछे कुआ आगे खाई थी,,क्योंकि पापा तो प्यार से गाल सहला चुके थे अब भाई की बारी थी जो गुस्से से उसे खा जाने वाली नजरों से देख रहा था,,,।
संस्कृति ने मुश्किल से सर घुमाकर उसकी तरफ देखकर कान पकड़कर धीरे से कहा - सॉरी,,भाई..संस्कार ने उसपर ध्यान न देकर आरती पर ध्यान रखा,,,,,। वो भी बुरे मन से सामने ध्यान देने लगी,,,।
आरती के बाद सब नास्ते के लिए पहुचे सबने नास्ता किया संस्कार - माँ पापा मेरी एक मीटिंग है तो मुझे जल्दी जाना है,,,। मैं चलता हूँ राधेकृष्ण...।
इतना कहकर वो ऑफिस चला गया,,,ओर यहाँ संस्कृति खा कम रही थी और खेल ज्यादा,,,।
माँ जो इतनी देर से उसके नाटक देख रही थी - कृति!!( ये हमारी संस्कृति का निक नेम है,,) खाना खाने के लिए होता है,,न कि खेलने के लिए,,तो थोड़ा जल्दी खाओ,,,।
मिश्राजी जो उनकी बातें सुन रहे थे बिना किसी प्रतिक्रिया के अपने कमरे में चले गए,,,,,।
लगभग 15 मिनेट बाद उनके रूम का गेट खुला,,तो ग्रे कलर के थ्री पीस सूट,,विथ टाई,,हाथ मे वॉच,,बाल ऊपर सेट,,कोई उन्हें देखकर नही कह सकता था कि ये वही मिश्राजी है,,,,।
मिश्राजी - नारायणी!!!
माँ - जी,,,,अभी आई माँ हाथ मे कुम कुम की थाल लेकर आई और माँ ने उन्हें तिलक लगाया,,फिर ड्राइवर के साथ वे रवाना हो गए,,,।
कृति आंगन में आकर मुह ऊपर कर जोर से सांस लेते हुए - हाशशश.....माँ आपको घुटन नही होती?? इतने संस्कारो पर,,मतलब दिमाग खराब कर देते है सुबह से,,इससे बढिया होस्टल में रहती हूं,,6:30 की क्लास होने के बाद भी कंफर्ट रहता है,,,पर यहां तो...
माँ जो उसे घूर रही थी - तुझे पता है कि पापा का रूल है कि घर मे जितने सदस्य होंगे उनका आरती में मौजूद रहना जरूरी है,,ओर तू है कि लेट कर देती है,,तू अभी नही आती तो बेचारा मेरा 👉सेंकी👈 (ये हमारे संस्कार जी का प्यार का नाम है जो सिर्फ इनकी माँ बुलाती है)
वो इंतजार करता रहता,,वो लेट होता है पर तुझे डांट नही पड़ने देता,,,। उसके लिए ही जल्दी आ जाया कर,,बेचारा ठीक से खा भी नही पाया,,,।
कृति मुह बनाकर - होअअ,,,बेचारा,,बुरा लगा सुनकर..।
माँ उसे सर पर एक मारकर - मतलब तू नही सुधरेगी मैं भी कहा गधी के आगे बीन बजा रही हूँ,,,हअ..।
कृति सोचते हुए - गधी के आगे बीन,,,मेबी ये कहावत मेने सुनी है,,पर उसमे गधी नही थी,,। हअ...होगा कुछ ,मुझे इतना पता है कि तरीफ नही थी,,,,।वो वहां से अपने रूम में चली गई,,,।
यहां कार में मिश्राजी मौन व्रत धारण करे हुए थे,,,जो कि ड्राइवर के सवाल पर टूटा,,,।
ड्राइवर - सर कहां ड्राप करना है??
मिश्राजी बिना की प्रतिक्रिया के - कम्पनी...
ड्राइवर - जी सर,,,
अचानक से ड्राइवर ने ब्रेक मारा जिसके लिए न वो तैयार था न ही मिश्राजी,,,,,,
राजा!!! मिश्राजी भड़कते हुए बोले - ये क्या तरीका है चलाने का...।
राजा हकलाते हुए - माफ करना,, सर ,,पर,,वो ,,ब,,बच्चा..
मिश्राजी चौककर - बच्चा?? वे जल्दी से कार से उतरे तो सैम के एक 5-6 साल का बच्चा ओर उसकी साइकल पड़ी हुई थी,,,ओर बच्चा साइकल में फंसा हुआ था,,,मिश्राजी जैसे ही बच्चे को उठाने आगे हुए ही थे कि तभी पीछे से एक आवाज आई,,,
,,,,,रुको,,,,